Aur Bhi Doon
और भी दूँ
- रामावतार त्यागी (Ram Avtar Tyagi)
मन समर्पित, तन समर्पित
और यह जीवन समर्पित
चाहता हूँ देश की धरती, तुझे कुछ और भी दूँ
मॉं तुम्हारा ऋण बहुत है, मैं अकिंचन
किंतु इतना कर रहा, फिर भी निवेदन
थाल में लाऊँ सजाकर भाल में जब भी
कर दया स्वीकार लेना यह समर्पण
गान अर्पित, प्राण अर्पित
रक्त का कण-कण समर्पित
चाहता हूँ देश की धरती, तुझे कुछ और भी दूँ
मॉंज दो तलवार को, लाओ न देरी
बॉंध दो कसकर, कमर पर ढाल मेरी
भाल पर मल दो, चरण की धूल थोड़ी
शीश पर आशीष की छाया धनेरी
स्वप्न अर्पित, प्रश्न अर्पित
आयु का क्षण-क्षण समर्पित।
चाहता हूँ देश की धरती, तुझे कुछ और भी दूँ
तोड़ता हूँ मोह का बंधन, क्षमा दो
गॉंव मेरी, द्वार-घर मेरी, ऑंगन, क्षमा दो
आज सीधे हाथ में तलवार दे-दो
और बाऍं हाथ में ध्वज को थमा दो
सुमन अर्पित, चमन अर्पित
नीड़ का तृण-तृण समर्पित
चहता हूँ देश की धरती, तुझे कुछ और भी दूँ
Very good feeling about nation, but I think such devotion is missing nowadays. Now the devotion is concentrating only for once caste.
ek bahut hi umda rachna jise padh kar ashk chalak aaye hain koro se
WE ROCK!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
Many thanks for putting this up.
Please keep adding more poems of Indian writers.
Good work!!
Saare jahan se achha, Hindustan Hamara
Hum Bulbule Hain iski, Yeh Gulsitan Hamara.
Is Kavaita ko Padya roop main kaise Gaya Ja Sakata Hai?
Dhanyawad.
Kapil.
aaan baan shaan aur swabhimaan ki mashal kranti chetana ki agdayi ko naman hai
kaal ke karal bhal jis pe tilik kiya us punya lahu ki lalai ko naman hai
to jhansi rajya vansh ki kamai ko naman aur amar swaroo ki shanai ko naman hai...
chidiya ki baaz se ladai ko naman rani lakshmi bai shoura tarunai ko naman hai
Cheers