Hum Kare Rashtra Aaradhan
Hum Kare Rashtra Aaradhan
- from Chanakya Serial on Doordarshan TV
हम करें राष्ट्र आराधन
हम करें राष्ट्र आराधन.. आराधन
तन से, मन से, धन से
तन मन धन जीवन से
हम करें राष्ट्र आराधन
हम करें राष्ट्र आराधन.. आराधन
अंतर से, मुख से, कृति से
निश्चल हो निर्मल मति से
श्रद्धा से मस्तक नत से
हम करें राष्ट्र अभिवादन
हम करें राष्ट्र अभिवादन
हम करें राष्ट्र आराधन
हम करें राष्ट्र आराधन.. आराधन
अपने हँसते शैशव से
अपने खिलते यौवन से
प्रौढ़ता पूर्ण जीवन से
हम करें राष्ट्र का अर्चन
हम करें राष्ट्र का अर्चन
हम करें राष्ट्र आराधन
हम करें राष्ट्र आराधन.. आराधन
अपने अतीत को पढ़कर
अपना इतिहास उलट कर
अपना भवितव्य समझ कर
हम करें राष्ट्र का चिंतन
हम करें राष्ट्र का चिंतन
हम करें राष्ट्र आराधन
हम करें राष्ट्र आराधन.. आराधन
है याद हमें युग युग की
जलती अनेक घटनायें,
जो माँ की सेवा पथ पर
आई बन कर विपदायें,
हमने अभिषेक किया था
जननी का अरि षोणित से,
हमने श्रिंगार किया था
माता का अरि-मुंडों से,
हमने ही उसे दिया था
सांस्कृतिक उच्च सिंहासन,
माँ जिस पर बैठी सुख से
करती थी जग का शासन,
अब काल चक्र की गति से
वह टूट गया सिंहासन,
अपना तन मन धन देकर
हम करें राष्ट्र आराधन
हम करें राष्ट्र आराधन.. आराधन
तन से, मन से, धन से
तन मन धन जीवन से
हम करें राष्ट्र आराधन
हम करें राष्ट्र आराधन.. आराधन
durdin me ansu ban kar ye aaz barasane aayi
RASTRA KAVI SWAGEEYA JAI SHANKAR PRASAD
was a total surprise. i congratulate u for your efforts to promote mindi poetry in such a big way.
one of the rare poems jo aap me jaan fook deti hai
aur se site........................jitni prashansa ki jaayee kam hai
सही कर लें अपने ब्लौग पर, अप्र बाद में यह संदेस delete कर दें।
गलत यह है :-
>> हमने अभिषेक किया था
>> जननी का हर्षयों नित से,
सही यह है:-
>> हमने अभिषेक किया था
>> जननी का अरि षोणित से,
सादर प्रणाम
रिपुदमन पचौरी
bilkul sahi
janni ka abhisheak .........lahu se hi hota hai
pyare swdesh ke hit angaar mangata hon
chadti jawaniyoo ka sringaar mangata hoon
Dinkar ji