Jo Jeevan Ki Dhool Chaat Kar Bada Hua Hai
जो जीवन की धूल चाट कर बड़ा हुआ है
- केदारनाथ अग्रवाल (Kedarnath Agarwal)
जो जीवन की धूल चाट कर बड़ा हुआ है
तूफ़ानों से लड़ा और फिर खड़ा हुआ है
जिसने सोने को खोदा लोहा मोड़ा है
जो रवि के रथ का घोड़ा है
वह जन मारे नहीं मरेगा
नहीं मरेगा
जो जीवन की आग जला कर आग बना है
फौलादी पंजे फैलाए नाग बना है
जिसने शोषण को तोड़ा शासन मोड़ा है
जो युग के रथ का घोड़ा है
वह जन मारे नहीं मरेगा
नहीं मरेगा
आँख और मुँह में गुस्कर अपनी ताकत दिखाती यह धुल,
कुम्हार के हाथ लगे तो अनेको रूप धर लेती है यह धुल,
ऊँची इमारते हो या हो छोटा घर सबको बनती है यह धुल,
आंधी बन जाये तो सुब कुछ मिटा देती है यह धुल,
किसान जो हल चलाये तो सोना उगाती है यह धुल,
इन्सान को बनती है और खुद ही मिटा देती है यह धुल,
जो समझे इसे तुच्छ उसे तूफान बनकर अपना असली रूप दिखाती है यह धुल,
मानो तो मिट्टी है पर मूर्ति बन जाये तो पूजी जाती है यह धुल,
इसे संसार का आधार और इसकी पहचान है यह धुल,
हवा के जोंके से उड़े जाने वाली है पर असीम शक्ति का स्त्रोत है यह धुल,
इन्सान को सचाई का मुह दिखाती है पल में उड़े जाने वाली यह धुल। ....
आँख और मुँह में गुस्कर अपनी ताकत दिखाती यह धुल,
कुम्हार के हाथ लगे तो अनेको रूप धर लेती है यह धुल,
ऊँची इमारते हो या हो छोटा घर सबको बनती है यह धुल
आंधी बन जाये तो सुब कुछ मिटा देती है यह धुल,
किसान जो हल चलाये तो सोना उगाती है यह धुल,
इन्सान को बनती है और खुद ही मिटा देती है यह धुल,
जो समझे इसे तुच्छ उसे तूफान बनकर अपना असली रूप दिखाती है यह धुल,
मानो तो मिट्टी है पर मूर्ति बन जाये तो पूजी जाती है यह धुल
इसे संसार का आधार और इसकी पहचान है यह धुल
हवा के जोंके से उड़े जाने वाली है पर असीम शक्ति का स्त्रोत है यह धुल
इन्सान को सचाई का मुह दिखाती है पल में उड़े जाने वाली यह धुल। ....
very nice creativity.....
I've chosen it for my FA1 ......
You're a very lucky guy that I've chosen it......
THIS IS GREAT!!!!!!!!!!!!!
now i m also writing poems.
<dt> Remember :</dt><strong>You don't know how hard the poet has worked.</strong> and if you don't like them just stop posting abusive comments.
and.. this poem really reminded of my childhood...
Nice work..
ye matra shabd nahi kisi patra k, ye to sinh naad hua hai,
ye matra vichar nahi man k, ye nai subha ka aahvahan hua hai,
jo mod de nadi karasta, rok de havaon ko vo Pavat aaj uth khda hu hai,
ye to nav chetna to ghoda hai , jo mare nahi marega; nahi marge; nahi marega.
aapne to humko bachpan mein pahucha diya :)
sir jii ek poem hain mujhe bas kuch lines uski yaad hain please ussey post kare ya mujhe complete E-mail kare.
<b>Paanv mein ho thakan, Anshru bheege Nayan
Raah suni Magar Gungunate chalo,</b>
bas sirjii itana hi yaad hain mujhe
mere 4th std mein poem thi .. mujhe bahut pasand thi n complte yaad bhi but ,, time chnage hua .. poem n poet ko bhi bhula gaya
please sir check line n post full poem n email me too.
thanks in adavnce.
par tumhari kavita ne kiya mera dimag badhiya mere yaar
socha tumse milko tumhe doon khoob aadaraur pranam
par kya karoon karna hain mujhe abhi bahut kam
jeevanki dhool chaat kar bada hua hai
nice poem