Saare Jahan Se Achcha
सारे जहाँ से अच्छा, हिन्दोस्तां हमारा
- मुहम्मद इक़बाल (Muhammad Iqbal)
On the eve of Independence day, here goes the complete 'saare jahan se achha' song by Iqbal. This song is very popular in India - though typically only a subset of the song is sung (with 1st, 3rd, 4th, and 6th stanza).
सारे जहाँ से अच्छा, हिन्दोस्तां हमारा
हम बुलबुलें हैं इसकी, यह गुलिसतां हमारा
गुरबत में हों अगर हम, रहता है दिल वतन में
समझो वहीं हमें भी, दिल हो जहाँ हमारा
परबत वो सबसे ऊँचा, हमसाया आसमाँ का
वो संतरी हमारा, वो पासवां हमारा
गोदी में खेलती हैं, जिसकी हज़ारों नदियाँ
गुलशन है जिसके दम से, रश्क-ए-जिनां हमारा
ऐ आब-ए-रौंद-ए-गंगा! वो दिन है याद तुझको
उतरा तेरे किनारे, जब कारवां हमारा
मजहब नहीं सिखाता, आपस में बैर रखना
हिन्दी हैं हम वतन हैं, हिन्दोस्तां हमारा
यूनान, मिस्र, रोमां, सब मिट गए जहाँ से ।
अब तक मगर है बाकी, नाम-ओ-निशां हमारा
कुछ बात है कि हस्ती, मिटती नहीं हमारी
सदियों रहा है दुश्मन, दौर-ए-जहाँ हमारा
'इक़बाल' कोई मरहूम, अपना नहीं जहाँ में
मालूम क्या किसी को, दर्द-ए-निहां हमारा
सारे जहाँ से अच्छा, हिन्दोस्तां हमारा
हम बुलबुलें हैं इसकी, यह गुलिसतां हमारा ।
साँस जाने बोझ कैसे जीवन का ढोती रही
नयन बिन अश्रु रहे पर ज़िन्दगी रोती रही
एक नाज़ुक ख्वाब का अंजाम कुछ ऐसा हुआ
मैं तड़पता रहा इधर वो उस तरफ़ रोती रही
भूख , आंसू और गम ने उम्र तक पीछा किया
मेहनत के रुख पर ज़र्दियाँ , तन पर फटी धोती रही
उस महल के बिस्तरे पे सोते रहे कुत्ते , बिल्लियाँ
धूप में पिछवाडे एक बच्ची छोटी सोती रही
तंग आकर मुफलिसी मन खुदखुशी कर की मगर
दो गज कफ़न को लाश उसकी बाट जोती रही
'दीपक' बशर की ख्वाहिशों का कद इतना बढ गया
ख्वाहिशों की भीड़ में कहीं ज़िन्दगी खोती रही
na mitaye apni lahro se kahna
naam sanam ka hai jindgi meri
mita na de apni lahro se kahna
aaye jb tahlane idhar wo
ek nazar dekh le mere sanam se kahna
sagar se gahra aasma se uncha
rista hai dosti ka hamara
sach dost kahta hai vikas
dosti se jyada kuch nahi
zindgi me meri kasam teri
jb tak chale sanse meri
rahe salamat dosti teri
na mitaye apni lahro se kahna
naam sanam ka hai jindgi meri
mita na de apni lahro se kahna
aaye jb tahlane idhar wo
ek nazar dekh le mere sanam se kahna
sagar se gahra aasma se uncha
rista hai dosti ka hamara
sach dost kahta hai vikas
dosti se jyada kuch nahi
zindgi me meri kasam teri
jb tak chale sanse meri
rahe salamat dosti teri
anshu ko bhi kmai ka jarya bta de na khin