तूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवार

  • शिवमंगल सिंह सुमन (Shiv Mangal Singh Suman)

तूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवार

आज सिन्धु ने विष उगला है
लहरों का यौवन मचला है
आज ह्रदय में और सिन्धु में
साथ उठा है ज्वार

तूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवार

लहरों के स्वर में कुछ बोलो
इस अंधड में साहस तोलो
कभी-कभी मिलता जीवन में
तूफानों का प्यार

तूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवार

यह असीम, निज सीमा जाने
सागर भी तो यह पहचाने
मिट्टी के पुतले मानव ने
कभी ना मानी हार

तूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवार

सागर की अपनी क्षमता है
पर माँझी भी कब थकता है
जब तक साँसों में स्पन्दन है
उसका हाथ नहीं रुकता है
इसके ही बल पर कर डाले
सातों सागर पार

तूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवार ।।

Category: hindi-poems

Comments

  • SOUMI SARKAR
    02 Apr 13
    Plz help me to find the poem....... "Mera majhi mujhse kehta rehta tha, bina baat ke nahi kisi se tum takrana"
  • seamanfan
    17 Dec 12
    Nice poem, can give more spirit
  • abha
    28 Jul 10
    .......
    tum rajni ke chand banoge ya din ke martand prakhar
    ek baat hai mujhe poochni
    phool banoge ya paththar

    if you can help me with this i'll be obliged
  • praveen
    28 Jan 11
    even i need this poem!
  • Hinata Hyuuga
    24 May 10
    Poem gives us mental hope that if we fight in our life to achieve something we surely achieve it.