Tab Yaad Tumhari Aati Hai

तब याद तुम्हारी आती है
- रामनरेश त्रिपाठी (Ramnaresh Tripathi)

जब बहुत सुबह चिड़ियाँ उठकर
कुछ गीत ख़ुशी के गाती हैं,
कलियाँ दरवाजे खोल-खोल
जब दुनिया पर मुस्काती हैं,

खुशबू की लहरें जब घर से
बाहर आ दौड़ लगाती हैं ,
हे जग के सिरजनहार प्रभो!
तब याद तुम्हारी आती हैं।

...read more

Satkartavya

सत्कर्तव्य
- रामनरेश त्रिपाठी (Ramnaresh Tripathi)

जग में सचर-अचर जितने हैं, सारे कर्म निरत हैं।
धुन है एक-न-एक सभी को, सबके निश्चित व्रत हैं।
जीवनभर आतप सह वसुधा पर छाया करता है।
तुच्छ पत्र की भी स्वकर्म में कैसी तत्परता है।।

...read more

Armaan

अरमान
- रामनरेश त्रिपाठी (Ramnaresh Tripathi)

है शौक यही अरमान यही,
हम कुछ करके दिखलायेंगे
मरने वाली दुनिया में हम,
अमरों में नाम लिखायेंगे |

जो लोग गरीब भिखारी हैं,
जिन पर न किसी की छाया है
हम उनको गले लगायेंगे
हम उनको सुखी बनायेंगे|

...read more

Ghaash by Paash

मैं घास हूँ
- Avtar Singh Sandhu 'Paash' (अवतार सिंह संधू पाश)

मैं घास हूँ
मैं आपके हर किए-धरे पर उग आऊँगा

बम फेंक दो चाहे विश्‍वविद्यालय पर
बना दो होस्‍टल को मलबे का ढेर
सुहागा फिरा दो भले ही हमारी झोपड़ियों पर

मेरा क्‍या करोगे
मैं तो घास हूँ हर चीज़ पर उग आऊँगा

बंगे को ढेर कर दो
संगरूर मिटा डालो
धूल में मिला दो लुधियाना ज़िला
मेरी हरियाली अपना काम करेगी...
दो साल... दस साल बाद
सवारियाँ फिर ...

...read more

Tumhe Dohna Hai Samay Ka Bhar by Premji Prem

तुम्हे ढोना हे समय का भार
- प्रेमजी प्रेम (Premji Prem)

तुम्हे ढोना है समय का भार, थोड़ी सी चाल तेज करो
थोड़ी और तेज, और तेज यार, थोड़ी सी चाल तेज करो |

हाथ जो मिला था इन्कलाब के लिये, कुर्सी के लिए कैसे सलाम हो गया
संतों ने उपदेश सारे देश को दिया, कैसे एक जात का पैगाम हो गया
जो भी आया देश को बचाने के लिए, धर्म के दलालों का गुलाम हो गया
हम तो हिंदू, मुस्लिम और सिक्ख हो गए, पर नानक का नाम बदना...

...read more

Ud chal Haril - Ajneya

उड़ चल हारिल
- सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन 'अज्ञेय'

उड़ चल, हारिल, लिये हाथ में यही अकेला ओछा तिनका।
ऊषा जाग उठी प्राची में-कैसी बाट, भरोसा किन का!
शक्ति रहे तेरे हाथों में-छुट न जाय यह चाह सृजन की;
शक्ति रहे तेरे हाथों में-रुक न जाय यह गति जीवन की!

ऊपर-ऊपर-ऊपर-ऊपर-बढ़ा चीरता जल दिड्मंडल
अनथक पंखों की चोटों से नभ में एक मचा दे हलचल!
तिनका? तेरे हाथों में है अमर एक रचना का साधन-
तिनका? तेरे ...

...read more

Jhoom Jhoom Mridu Garaj-Garaj Ghan Ghor

झूम-झूम मृदु गरज-गरज घन घोर
- सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' (Suryakant Tripathi 'Nirala')

महाकवि 'निराला' के जन्म-दिन पर उनकी कविता और हमारे दिलों में निराला जी को दुबारा जिन्दा करता हरप्रीत जी का संगीत और आवाज

झूम-झूम मृदु गरज-गरज ...

...read more

Need Ka Nirmaan Phir Phir by Harivansh Rai Bachchan

नीड़ का निर्माण फिर-फिर
- हरिवंश राय बच्चन (Harivansh Rai Bachchan)

नीड़ का निर्माण फिर-फिर,
नेह का आह्वान फिर-फिर!
वह उठी आँधी कि नभ में
छा गया सहसा अँधेरा,
धूलि धूसर बादलों ने
भूमि को इस भाँति घेरा,
रात-सा दिन हो गया,
फिर रात आई और काली,
लग रहा था अब न होगा
इस निशा का फिर सवेरा,
रात के उत्पात-भय से
भीत जन-जन, भीत कण-कण
किंतु प्राची से उषा की
मोहिनी मुस्कान फिर-फिर!

नीड़ का निर्माण फिर-फिर,
...

...read more

Avhaan

आव्हान
- अशफ़ाक उल्ला खाँ (Ashfaqulla Khan)

कस ली है कमर अब तो, कुछ करके दिखाएँगे,
आज़ाद ही हो लेंगे, या सर ही कटा देंगे।

हटने के नहीं पीछे, डर कर कभी जुल्मों से,
तुम हाथ उठाओगे, हम पैर बढ़ा देंगे।

बेशस्त्र नहीं है हम, बल है हमें चरखे का,
चरखे से जमीं को हम, ता चर्ख गुँजा देंगे।
परवा नहीं कुछ दम की, गम की नहीं, मातम
की, है जान हथेली पर, एक दम में गवाँ देंगे।

उफ़ तक भी जुबां से हम हरगिज न निक...

...read more

Hum Deewano Ki Kya Hasti - Hindi Poem by Bhagwati Charan Verma

हम दीवानों की क्या हस्ती
-Hindi Poem by Bhagwati Charan Verma (भगवतीचरण वर्मा)

हम दीवानों की क्या हस्ती, आज यहाँ कल वहाँ चले
मस्ती का आलम साथ चला, हम धूल उड़ाते जहाँ चले

आए बनकर उल्लास कभी, आँसू बनकर बह चले अभी
सब कहते ही रह गए, अरे तुम कैसे आए, कहाँ चले

किस ओर चले? मत ये पूछो, बस चलना है इसलिए चले
जग से उसका कुछ लिए चले, जग को अपना कुछ दिए चले

दो बात कहीं, दो बात सुनी, कुछ हँसे और फिर कुछ र...

...read more