मापदण्ड बदलो
- दुष्यन्त कुमार (Dushyant Kumar)
(Thanks to Isht Vibhu for sending this poem)
मेरी प्रगति या अगति का
यह मापदण्ड बदलो तुम,
जुए के पत्ते सा
मैं अभी अनिश्चित हूँ ।
मुझ पर हर ओर से चोटें पड़ रही हैं,
कोपलें उग रही हैं,
पत्तियाँ झड़ रही हैं,
मैं नया बनने के लिए खराद पर चढ़ रहा हूँ,
लड़ता हुआ
नयी राह गढ़ता हुआ आगे बढ़ रहा हूँ ।
सूरज का गोला
- भवानीप्रसाद मिश्र (Bhawani Prasad Mishra)
सूरज का गोला
इसके पहले ही कि निकलता
चुपके से बोला, हमसे - तुमसे, इससे - उससे
कितनी चीजों से
चिडियों से पत्तों से
फूलो - फल से, बीजों से-
"मेरे साथ - साथ सब निकलो
घने अंधेरे से
कब जागोगे, अगर न जागे, मेरे टेरे से ?"
In tribute to people who have lost their lives in Mumbai Attacks - an old poem by Mahendra Bhatnagar.
मशाल
- महेन्द्र भटनागर (Mahendra Bhatnagar)
बिखर गये हैं जिन्दगी के तार-तार
रुद्ध-द्वार, बद्ध हैं चरण
खुल नहीं रहे नयन
क्योंकि कर रहा है व्यंग्य
बार-बार देखकर गगन !
सारे जहाँ से अच्छा, हिन्दोस्तां हमारा
- मुहम्मद इक़बाल (Muhammad Iqbal)
On the eve of Independence day, here goes the complete 'saare jahan se achha' song by Iqbal. This song is very popular in India - though typically only a subset of the song is sung (with 1st, 3rd, 4th, and 6th stanza).
सारे जहाँ से अच्छा, हिन्दोस्तां हमारा
हम बुलबुलें हैं इसकी, यह गुलिसतां हमारा
गुरबत में हों अगर हम, रहता है दिल वतन में
समझो वहीं हमें भी, दिल हो जहाँ हमारा
यात्रा और यात्री
- हरिवंश राय बच्चन (Harivansh Rai Bachchan)
साँस चलती है तुझे
चलना पड़ेगा ही मुसाफिर!
चल रहा है तारकों का
दल गगन में गीत गाता
चल रहा आकाश भी है
शून्य में भ्रमता-भ्रमाता
पाँव के नीचे पड़ी
अचला नहीं, यह चंचला है
किसको नमन करूँ मैं भारत?
- रामधारी सिंह दिनकर (Ramdhari Singh Dinkar)
A beautiful poem by Dinkar ji about the spirit of India.
तुझको या तेरे नदीश, गिरि, वन को नमन करूँ, मैं ?
मेरे प्यारे देश ! देह या मन को नमन करूँ मैं ?
किसको नमन करूँ मैं भारत ? किसको नमन करूँ मैं ?
भू के मानचित्र पर अंकित त्रिभुज, यही क्या तू है ?
नर के नभश्चरण की दृढ़ कल्पना नहीं क्या तू है ?
भेदों का ज्ञाता, निगूढ़ताओं का चिर ज्ञानी है
मेरे प्यारे देश ! नहीं तू पत्थर है, पानी है
जड़ताओं में छिपे किसी चेतन को नमन करूँ मैं ?
तुम मुझमें प्रिय! फिर परिचय क्या
- महादेवी वर्मा (Mahadevi Verma)
तुम मुझमें प्रिय! फिर परिचय क्या
तारक में छवि, प्राणों में स्मृति
पलकों में नीरव पद की गति
लघु उर में पुलकों की संसृति
भर लाई हूँ तेरी चंचल
और करूँ जग में संचय क्या!
हम होंगे कामयाब एक दिन
- A translation of english song 'We shall overcome' by गिरिजाकुमार माथुर
All of us have heard "हम होंगे कामयाब" innumerable times in India. This song is translation of famous english song 'We shall Overcome' -- a song with origins in early 1900s in America. It became quite famous there during civil rights movement in 1960s. You can find more information about this at Wikipedia . The tune of hindi song is same as that of its english original (I think it's probably one of the most recognized tune in the world).
हम होंगे कामयाब,
हम होंगे कामयाब एक दिन
हो हो हो मन मे है विश्वास, पूरा है विश्वास
हम होंगे कामयाब एक दिन
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सागरा, प्राण तळमळला
- विनायक दामोदर सावरकर (Vinayak Damodar Savarkar)
ने मजसी ने परत मातृभूमीला,
सागरा, प्राण तळमळला
भूमातेच्या चरणतला तुज धूता,
मी नित्य पाहीला होता
मज वदलासी अन्य देशी चल जाऊ,
सृष्टिची विविधता पाहू
तइं जननीहृद् विरहशंकीतहि झाले,
परि तुवां वचन तिज दिधले
मार्गज्ञ स्वये मीच पृष्ठि वाहीन,
त्वरि तया परत आणीन
विश्र्वसलो या तव वचनी मी,
जगद्नुभवयोगे बनुनी मी
तव अधिक शक्त उद्धरणी मी,
येईन त्वरे, कथुन सोडीले तिजला
सागरा, प्राण तळमळला